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Monday, March 14, 2011

शेन में छोटे भाई की बीबी की चुदाई

तराश कर बनाया है। मैं िशवम उसका
जेठ हं। मेरी शादी को दस साल हो चुके हैं। ू िनशा शुरु से ही मुझे काफ़ी
अच्छी लगती थी। मुझसे वो काफ़ी खलु ी हुई थी। रुपम एक यूके बेःड
कम्पनी में सिवर्स करता था। हां बताना तो भूल ही गया िनशा का मायका
नागपुर में है और हम जालंधर में रहते हैं।
आज से कोई पांच साल पहले की बात है। हुआ यंू िक शादी के एक साल
बाद ही िनशा िूग्नेंट हो गयी। िडलीवरी के िलये वो अपने मायके गयी हुई
थी। सात महीने में ूीमेच्योर िडलीवरी हो गयी। बच्चा शुरु से ही काफ़ी वीक
था। दो हझते बाद ही बच्चे की डेथ हो गयी। रुपम तुरंत छु􀃒टी लेकर
नागपुर चला गया। कुछ िदन वहां रह कर वापस आया। वापस अकेला ही
आया था। िडसाइड ये हुआ था िक िनशा की हालत थोड़ी ठीक होने के बाद
आयेगी। एक महीने के बाद जब िनशा को वापस लाने की बात आयी तो
रुपम को छु􀃒टी नहीं िमली। िनशा को लेने जाने के िलये रुपम ने मुझे
कहा। सो मैं िनशा को लेने शैन से िनकला। िनशा को वैसे मैने कभी गलत
िनगाहों से नहीं देखा था। लेिकन उस याऽा मे हम दोनो में कुछ ऐसा हो
गया िक मेरे सामने हमेशा घूंघट में घूमने वाली िनशा बेपदार् हो गयी।
हमारी िटकट फःट क्लास में बुक थी। चार सीटर कूपे में दो सीट पर कोई
नहीं आया। हम शैन में चढ़ गये। गरमी के िदन थे। जब तक शैन ःटेशन से
नहीं छूटी तब तक वो मेरे सामने घंूघट में खड़ी थी। मगर दसू रों के आखं ों
से ओझल होते ही उसने घूंघट उलट िदया और कहा, "अब आप चाहे कुछ
भी समझें मैं अकेले में आपसे घूंघट नहीं करूंगी। मुझे आप अच्छे लगते हो
आपके सामने तो मैं ऐसी ही रहूंगी।" मैं उसकी बात पर हँस पड़ा। "मैं भी
घूंघट के समथर्न में कभी नहीं रहा।" मैने पहली बार उसके बेपदार् चेहरे को
देखा। मैं उसके खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया। अचानक मेरे मुंह से
िनकला "अब घूंघट के पीछे इतना लाजवाब हु􀆰 िछपा है उसका पता कैसे
लगता।" उसने मेरी ओर देखा िफ़र शमर् से लाल हो गयी। उसने बोतल मीन
रंग की एक िशफ़ोन की साड़ी पहन रखी थी। ब्लाउज़ भी मैिचंग पहना था।
गम􀈸 के कारण बात करते हुए साड़ी का आचं ल ब्लाउज़ के ऊपर से सरक
गया। तब मैने जाना िक उसने ब्लाउज़ के अन्दर ॄा नही पहनी हुई है।
उसके ःतन दधू से भरे हुए थे इसिलये काफ़ी बड़े बड़े हो गये थे। ऊपर का
एक हुक टूटा हुआ था इसिलये उसकी आधी छाितयां साफ़ िदख रही थी।
पतले ब्लाउज़ में से ॄा नहीं होने के कारण िनप्पल और उसके चारों ओर का
काला घेरा साफ़ नजर आ रहा था। मेरी नजर उसकी छाती से िचपक गयी।
उसने बात करते करते मेरी ओर देखा। मेरी नजरों का अपनी नजरों से पीछा
िकया और मुझे अपने बाहर छलकते हुए बूब को देखता पाकर शमा र् गयी
और जल्दी से उसे आचं ल से ढक िलया। हम दोनो बातें करते हुए जा रहे
थे। कुछ देर बाद वो उठकर बाथरूम चली गयी। कुछ देर बाद लौट कर
आयी तो उसका चेहरा थोड़ा गम्भीर था। हम वापस बात करने लगे। कुछ
देर बाद वो वापस उठी और कुछ देर बाद लौट कर आ गयी। मैने देखा वो
बात करते करते कसमसा रही है। अपने हाथो से अपने ॄेःट को हलके से
दबा रही है। "कोई ूोब्लम है क्या?' मैने पूछा। "न।।नहीं" मैने उसे
असमंजस में देखा। कुछ देर बाद वो िफर उठी तो मैने कहा "मुझे बताओ न
क्या ूोब्लम है?" वो िझझकती हुई सी खड़ी रही। िफ़र िबना कुछ बोले
बाहर चली गयी। कुछ देर बाद वापस आकर वो सामने बैठ गयी।"मेरी
छाितयों में ददर् हो रहा है।" उसने चेहरा ऊपर उठाया तो मैने देखा उसकी
आखं ें आसं ु से छलक रही हैं।"क्यों क्या हुआ" मदर् वैसे ही औरतों के मामले
में थोड़े नासमझ होते हैं। मेरी भी समझ में नहीं आया अचानक उसे क्या हो
गया।"जी वो क्या है म्म वो मेरी छाितयां भारी हो रही हैं।" वो समझ नहीं
पा रही थी िक मुझे कैसे समझाये आिखर मैं उसका जेठ था।" म्मम मेरी
छाितयों में दध भर गया ू है लेिकन िनकल नहीं पा रहा है।" उसने नजरें
नीची करते हुए कहा।"बाथरूम जाना है?" मैने पूछा"गयी थी लेिकन वाश-
वेिसन बहुत गदं ा है इसिलये मैं वापस चली अयी" उसने कहा "और बाहर के
वाश-वेिसन में मुझे शमर् आती है कोई देख ले तो क्या सोचेगा?" "िफ़र क्या
िकया जाए?" मैं सोचने लगा "कुछ ऐसा करें िजससे तुम यहीं अपना दधू
खाली कर सको। लेिकन िकसमें खाली करोगी? नीचे फ़शर् पर िगरा नहीं
सकती और यहां कोई बतनर् भी नही है िजसमें दधू िनकाल सको"उसने
िझझकते हुये िफ़र मेरी तरफ़ एक नजर डाल कर अपनी नजरें झुका ली। वो
अपने पैर के नखनू ों को कुरेदती हुई बोली, "अगर आप गलत नहीं समझें तो
कुछ कहूं?""बोलो""आप इन्हें खाली कर दीिजये न""मैं? मैं इन्हें कैसे खाली
कर सकता हूं।" मैने उसकी छाितयों को िनगाह भर कर देखा।"आप अगर
इस दधू को पीलोÉÉ"उसने आगे कुछ नहीं कहा। मैं उसकी बातों से एकदम
भौचक्का रह गया।"लेिकन ये कैसे हो सकता है। तुम मेरे छोटे भाई की बीवी
हो। मैं तुम्हारे ःतनों में मंुह कैसे लगा सकता हूं""जी आप मेरे ददर् को कम
कर रहे हैं इसमें गलत क्या है। क्या मेरा आप पर कोई हक नहीं है।?"
उसने मुझसे कहा "मेरा ददर् से बुरा हाल है और आप सही गलत के बारे में
सोच रहे हो। प्लीज़।"मैं चुप चाप बैठा रहा समझ में नहीं आ रहा था िक
क्या कहूं। अपने छोटे भाई की बीवी के िनप्पल मंुह में लेकर दधू पीना एक
बड़ी बात थी। उसने अपने ब्लाउज़ के सारे बटन खोल िदये।"प्लीज़" उसने
िफ़र कहा लेिकन मैं अपनी जगह से नहीं िहला।"जाइये आपको कुछ भी
करने की जरूरत नहीं है। आप अपने रूढ़ीवादी िवचारों से िघरे बैठे रिहये
चाहे मैं ददर् से मर ही जाउं।" कह कर उसने वापस अपने ःतनों को आंचल
से ढक िलया और अपने हाथ आंचल के अंदर करके ब्लाउज़ के बटन बंद
करने की कोिशश करने लगी लेिकन ददर् से उसके मुंह से चीख िनकल गयी
"आआअहअह" ।मैने उसके हाथ थाम कर ब्लाउज़ से बाहर िनकाल िदये। िफ़र
एक झटके में उसके आंचल को सीने से हटा िदया। उसने मेरी तरफ़ देखा।
मैं अपनी सीट से उठ कर केिबन के दरवाजे को लोक िकया और उसके
बगल में आ गया। उसने अपने ब्लाउज़ को उतार िदया। उसके नग्न ॄेःट
जो िक मेरे भाई की अपनी िमिल्कयत थी मेरे सामने मेरे होंठों को छूने के
िलये बेताब थे। मैने अपनी एक उंगली को उसके एक ॄेःट पर ऊपर से
फ़ेरते हुए िनप्पल के ऊपर लाया। मेरी उंगली की छुअन पा कर उसके
िनप्पल अंगूर की साइज़ के हो गये। मैं उसकी गोद में िसर रख कर लेट
गया। उसके बड़े बड़े दधू से भरे हुए ःतन मेरे चेहरे के ऊपर लटक रहे थे।
उसने मेरे बालों को सहलाते हुए अपने ःतन को नीचे झुकाया। उसका
िनप्पल अब मेरे होंठों को छू रहा था। मैने जीभ िनकाल कर उसके िनप्पल
को छूआ।"ऊओझफ़झफ़ जेठजी अब मत सताओ। पलेअसे इनका रस चूस
लो।" कहकर उसने अपनी छाती को मेरे चेहरे पर िटका िदया। मैने अपने
होंठ खोल कर िसफ़र् उसके िनप्पल को अपने होंठों में लेकर चूसा। मीठे दधू
की एकतेज़ धार से मेरा मुंह भर गया। मैने उसकी आंखों में देखा। उसकी
आखं ों में शम र् की परछाई तैर रही थी। मैने मंुह में भरे दधू को एक घंूठ में
अपने गले के नीचे उतार िदया।"आआअअहअहह" उसने अपने िसर को एक
झटका िदया।मैने िफ़र उसके िनप्पल को जोर से चूसा और एक घंूठ दधू
िपया। मैं उसके दसू रे िनप्पल को अपनी उंगिलयों से कुरेदने लगा।"ऊओअहह
अहअहाआन्न हाआन्नन जोर से चूसो और जोर से। प्लीज़ मेरे िनप्पल को
दांतों से दबाओ। काफ़ी खुजली हो रही है।" उसने कहा। वो मेरे बालों में
अपनी उंगिलयां फ़ेर रही थी। मैने दांतों से उसके िनप्पल को जोर से
दबाया।"ऊउईईइ" कर उठी। वो अपने ॄेःट को मेरे चेहरे पर दबा रही थी।
उसके हाथ मेरे बालों से होते हुए मेरी गदर्न से आगे बढ़ कर मेरे शटर् के
अन्दर घुस गये। वो मेरी बालों भरी छाती पर हाथ फ़ेरने लगी। िफ़र उसने
मेरे िनप्पल को अपनी उंगिलयों से कुरेदा। "क्या कर रही हो?" मैने उससे
पूछा।"वही जो तुम कर रहे हो मेरे साथ" उसने कहा"क्या कर रहा हूं मैं
तुम्हारे साथ" मैने उसे छेड़ा"दधू पी रहे हो अपने छोटे भाई की बीवी के
ःतनों से""काफ़ी मीठा है""धत" कहकर उसने अपने हाथ मेरे शटर् से
िनकाल िलये और मेरे चेहरे पर झुक गयी। इससे उसका िनप्पल मेरे मुंह से
िनकल गया। उसने झुक कर मेरे िलप्स पर अपने िलप्स रख िदये और मेरे
होंठों के कोने पर लगे दधू को अपनी जीभ से साफ़ िकया। िफ़र वो अपने
हाथों से वापस अपने िनप्पल को मेरे िलप्स पर रख दी। मैने मुंह को काफ़ी
खोल कर िनप्पल के साथ उसके बूब का एक पोशर्न भी मुंह में भर िलया।
वापस उसके दधू को चूसने लगा। कुछ देर बाद उस ःतन से दधू आना कम
हो गया तो उसने अपने ःतन को दबा दबा कर िजतना हो सकता था दधू
िनचोड़ कर मेरे मंुह में डाल िदया।"अब दसू रा"मैने उसके ःतन को मंुह से
िनकाल िदया िफ़र अपने िसर को दसू रे ःतन के नीचे एडजःट िकया और
उस ःतन को पीने लगा। उसके हाथ मेरे पूरे बदन पर िफ़र रहे थे। हम
दोनो ही उ􀆣ेिजत हो गये थे। उसने अपना हाथ अगे बढ़ा कर मेरे पैंट की
िज़प पर रख िदया। मेरे िलंग पर कुछ देर हाथ यूं ही रखे रही। िफ़र उसे
अपने हाथों से दबा कर उसके साइज़ का जायजा िलया।"काफ़ी तन रहा है"
उसने शमातर् े हुए कहा।"तुम्हारी जसै ी हूर पास इस अन्दाज में बैठी हो तो
एक बार तो िव􀆳ािमऽ की भी नीयत डोल जाये।""म्मम्म अच्छा। और आप?
आपके क्या हाल हैं" उसने मेरे िज़प की चैन को खोलते हुए पूछा"तुम इतने
काितल मूड में हो तो मेरी हालत ठीक कैसे रह सकती है" उसने अपना हाथ
मेरे िज़प से अन्दर कर ॄीफ़ को हटाया और मेरे तने हुए िलंग को िनकालते
हुए कहा "देख ंू तो सही कैसा लगता है िदखने में"मेरे मोटे िलंग को देख कर
खबू खशु हुयी। "अरे बाप रे िकतना बड़ा िलंग है आपका। दीदी कैसे लेती है
इसे?""आ जाओ तुम्हें भी िदखा देता हं ू िक इसे कैसे िलया जाता है।""धत ्
मुझे नहीं देखना कुछ। आप बड़े वो हो" उसने शमार् कर कहा।लेिकन उससे
हाथ हटाने की कोई जल्दी नहीं की।"इसे एक बार िकस तो करो" मैने उसके
िसर को पकड़ कर अपने िलंग पर झुकाते हुए कहा। उसने िझझकते हुए मेरे
िलंग पर अपने होंठ िटका िदये। अब तक उसका दसू रा ःतन भी खाली हो
गया था। उसके झुकने के कारण मेरे मंुह से िनप्पल छूट गया। मैने उसके
िसर को हलके से दबाया तो उसने अपने होंठों को खोल कर मेरे िलंग को
जगह दे दी। मेरा िलंग उसके मुंह में चला गया। उसने दो तीन बार मेरे
िलंग को अन्दर बाहर िकया िफ़र उसे अपने मुंह से िनकाल िलया।"ऐसे
नहींÉ ऐसे मजा नहीं आ रहा है""हां अब हमें अपने बीच की इन दीवारों को
हटा देना चािहये" मैने अपने कपड़ों की तरफ़ इशारा िकया। मैने उठकर
अपने कपड़े उतार िदये िफ़र उसे बाहों से पकड़ कर उठाया। उसकी साड़ी
और पेटीकोट को उसके बदन से अलग कर िदया। अब हम दोनो िबल्कुल
नग्न थे। तभी िकसी ने दरवाजे पर नोक िकया। "कौन हो सकता है।" हम
दोनो हड़बड़ी में अपने अपने कपड़े एक थैली में भर िलये और िनशा बथर् पर
सो गयी। मैने उसके नग्न शरीर पर एक चादर डाल दी। इस बीच दो बार
नोक और हुअ। मैने दरवाजा खोला बाहर टीटी खड़ा था। उसने अन्दर आकर
िटकट चेक िकया और कहा "ये दोनो सीट खाली रहेंगी इसिलये आप चाहें
तो अन्दर से लोक करके सो सकते हैं" और बाहर चला गया। मैने दरवाजा
बंद िकया और िनशा के बदन से चादर को हटा िदया। िनशा शमर् से अपनी
जांघों के जोड़ को और अपनी छाितयों को ढकने की कोिशश कर रही थी।
मैने उसके हाथों को पकड़ कर हटा िदया तो उसने अपने शरीर को िसकोड़
िलया और कहा "प्लीज़ मुझे शमर् आ रही है।" मैं उसके ऊपर चढ़ कर
उसकी योिन पर अपने मुंह को रखा। इससे मेरा िलंग उसके मुंह के ऊपर
था। उसने अपने मुंह और पैरों को खोला। एक साथ उसके मुंह में मेरा िलंग
चला गया और उसकी योिन पर मेरे होंठ सट गये।
"आह िवशाल जी क्या कर रहे हो मेरा बदन जलने लगा है। पंकज ने कभी
इस तरह मेरी योिन पर अपनी जीभ नहीं डाली" उसके पैर छटपटा रहे थे।
उसने अपनी टांगों को हवा में उठा िदया और मेरे िसर को उ􀆣ेजना में अपनी
योिन पर दबाने लगी। मैं उसके मुंह में अपना िलंग अंदर बाहर करने लगा।
मेरे हाठ उसकी योिन की फ़ांकों को अलग कर रखे थे और मेरी जीभ अंदर
घूम रही थी। वो पूरी तन्मयता से अपने मुंह में मेरे िलंग को िजतना हो
सकता था उतना अंदर ले रही थी। काफ़ी देर तक इसी तरह ६९ पोिज़शन में
एक दसरे के साथ मुख मैथुन ू करने के बाद लगभग दोनो एक साथ खल्लास
हो गये। उसका मुंह मेरे रस से पूरा भर गया था। उसके मुंह से चू कर मेरा
रस एकपतली धार के रूप में उसके गलु ाबी गालों से होता हुआ उसके बालों
में जाकर खो रहा था। मैं उसके शरीर से उठा तो वो भी उठ कर बैठ गयी।
हम दोनो एक दम नग्न थे और दोनो के शरीर पसीने से लथपथ थे। दोनो
एक दसू रे से िलपट गये और हमारे होंठ एक दसू रे से ऐसे िचपक गये मानो
अब कभी भी न अलग होने की कसम खा ली हो। कुछ िमनट तक यूं ही
एक दसू रे के होंठों को चूमते रहे िफ़र हमारे होंठ एक दसू रे के बदन पर
घूमने लगे।"अब आ जाओ" मैने िनशा को कहा।"जेठजी थोड़ा सम्भाल कर।
अभी अदं र नाजकु है। आपका बहुत मोटा हैकहीं कोई ज􀃉म न हो
जाये।""ठीक है। चलो बथर् पर हाथों और पैरों के बल झुक जाओ। इससे
􀃏यादा अंदर तक जाता है और ददर् भी कम होता है।"िनशा उठकर बथर् पर
चौपाया हो गयी। मैं पीछे से उसकी योिन पर अपना लंड सटा कर हलका सा
धक्का मारा। गीली तो पहले ही हो रही थी। धक्के से मेरे लंड के आगे का
टोपा अंदर धंस गया। एक बच्चा होने के बाद भी उसकी योिन काफ़ी टाइट
थी। वो ददर् से "आआअहह" कर उठी। मैं कुछ देर के िलये उसी पोज़ में
शांत खड़ा रहा। कुछ देर बाद जब ददर् कम हुआ तो िनशा ने ही अपनी गांड
को पीछे धकेला िजससे मेरा लंड पूरा अंदर चला जाये।"डालो न रुक क्यों
गये।""मैने सोचा तुम्हें ददर् हो रहा है इसिलये।""इस ददर् का मजा तो कुछ
और ही होता है। आिखर इतना बड़ा है ददर् तो करेगा ही।" उसने कहा। िफ़र
वो भी मेरे धक्कों का साथ देते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी।
मैं पीछे से शुरु शुरु में सम्भल कर धक्का मार रहा था लेिकन कुछ देर के
बाद मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के से उसके दधू भरे ःतन
उछल उछल जाते थे। मैने उसकी पीठ पर झुकते हुए उसके ःतनो को अपने
हाथों से थाम िलया। लेिकन मसला नहीं, नहीं तो सारी बथ र् उसके दधू की
धार से भीग जाती। काफ़ी देर तक उसे धक्के मारने के बाद उसने अपने
िसर को को जोर जोर से झटकना चालू िकया।"आआअहअह शीई􀃥व􀃥वाअम्मम
आआअअहअह तूउम्म इतनीए िदन कहा थीए। ऊऊओअहह माआईईइ माअरर्रर्र
जाऊऊं गीइ। मुझीए माअरर्रर्र डालूऊओ मुझीए मसाअल्ल डाअल्लूऊ" और
उसकी योिन में रस की बौछार होने लगी। कुछ धक्के मारने के बाद मैने
उसे िचत िलटा िदया और ऊपर से अब धक्के मारने लगा।"आअह मेरा गला
सूख रहा है।" उसका मंुह खलु ा हुआ था। और जीभ अदं र बाहर हो रही थी।
मैने हाथ बढ़ा कर िमनरल वाटर की बोतल उठाई और उसे दो घूंठ पानी
िपलाया। उसने पानी पीकर मेरे होंठों पर एक िकस िकया।"चोदो िशवम
चोदो। जी भर कर चोदो मुझे।" मैं ऊपर से धक्के लगाने लगा। काफ़ी देर
तक धक्के लगाने के बाद मैने रस में डूबे अपने िलंग को उसकी योिन से
िनकाला और सामने वाली सीट पर पीठ के बल लेट गया।"आजा मेरे उपर"
मैने िनशा को कहा। िनशा उठ कर मेरे बथर् पर आ गयी और अपने घुटने
मेरी कमर के दोनो ओर रख कर अपनी योिन को मेरे िलंग पर सेट करके
धीरे धीरे मेरे िलंग पर बैठ गयी। अब वो मेरे िलंग की सवारी कर रही थी।
मैने उसके िनप्पल को पकड़ कर अपनी ओर खींचा। तो वो मेरे ऊपर झुक
गयी। मैने उसके िनप्पल को सेट कर के दबाया तो दधू की एक धार मेरे
मुंह में िगरी। अब वो मुझे चोद रही थी और मैं उसका दधू िनचोड़ रहा था।
काफ़ी देर तक मुझे चोदने के बाद वो चीखी "िशवम मेरे िनकलने वाला है।
मेरा साथ दो। मुझे भी अपने रस से िभगो दो।" हम दोनो साथ साथ झड़
गये। काफ़ी देर तक वो मेरे ऊपर लेटी हुई लम्बी लम्बी सांसे लेती रही। िफ़र
जब कुछ नोमलर् हुई तो उठ कर सामने वाली सीट पर लेट गयी। हम दोनो
लगभग पूरे राःते नग्न एक दसू रे को प्यार करते रहे। लेिकन उसने दोबारा
मुझे उस िदन और चोदने नहीं िदया, उसके बच्चेदानी में हल्का हल्का ददर्
हो रहा था। लेिकन उसने मुझे आ􀆳ासन िदया। "आज तो मैं आपको और
नहीं दे सकुंगी लेिकन दोबारा जब भी मौका िमला तो मैं आपको िनचोड़
लुंगी अपने अंदर। और हां अगली बार मेरे पेट में देखते हैं दोनो भाईयों में
से िकसका बच्चा आता है। उस याऽा के दौरान कई बार मैने उसके दधू की
बोतल पर जरूर हाथ साफ़ िकया।

1 comment:

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